Wednesday, March 2, 2011

नरक से मुहं मोड चलेगे रब की ओर.....

सिरसा. साहब कानों को हाथ लगाते हैं.....कसम खाते है जिस नशे ने हमे जीते जी नरक दिखा दिया अब उससे मुहं को मोड रब की राह पर चलेंगे। सुबह आंख खुलते ही शराब का ख्याल आता था अब सुमिरन की धुन लगी है यह मालिक का करिष्मा है वरना औरों की बातें तो दूर हमें खुद ही अपने पर यकीन नहीं था कि शराब से छुटकारा मिल जायेगा। मध्यप्रदेश के गांव साजडी जिला रायसेन से आये रघुबीर ने नम आंखों और रूधें गले से ये बताते हुए कहा कि सुबह से शराब की तलब और उसे पूरा करने के लिए पैसों की जरूरत और उन पैसों को पाने के लिए कुछ भी कर गुजरने की चाहत ने हमें घर परिवार नाते रिष्तेदार सबकी नजरों में गिरा दिया था...पर अब दाता की दया हुई है हम इज्जत से जी सकेगे सिर उठा के चल सकेगे...राम नाम के सदाबहार नशे में जीवन गुजार देंगे न पियेंगे और न ही किसी को पीने देंगे। डेरा सच्चा सौदा सिरसा में मघ्यप्रदेश से नौ लोगों के साथ नशा छोडने आई दो बहनों ने भी नशे की दुनिया से तौबा कर जीवन को सुधारने का प्रण लिया 27 साल की उम्र ओर तीन बच्चों की मां अंगूरी बाई ने कहां कि जर्दा और सुपारी मेरी कमजोरी बन गई थी मैं खुद ही नशे के गिरफत में थी तो बच्चों को भला सेहत की बातें कैसे समझा सकती थी..पर अब मैने इस गंदगी को छोड दिया है। 62 साल की केसर बाई ने अंगूरी बाई के स्वर में स्वर मिलाते हुए कहा कि 50 साल से वो जर्दा तम्बाकू और सुपारी खा रही है जिस जर्दा को वेा बडे चाव से मुंह में रखती थी उसमें कितनी गंदगी भरी है न जाने क्या क्या मिला कर तम्बाकू और जर्दा बनता है यह तो डेरा में ही आ कर मालूम हुआ ...मालिक की दया है वरना पूरी जिंदगी गंदगी खाते खाते ही गुजर शाती।
 गौरतलब है कि डेरा सच्चा सौदा नशा मुक्ति के अभियान में देशके विभिन्न भागों से आये 23 लोगों ने हिस्सा लिया जिसमें तरह तरह के नशे की लत में फंसे लोगों ने परम पूज्य संत गुरमीत राम रहीम सिंह इंसा का अर्शिवाद ग्रहण कर इस जिल्लत और गंदगी की दुनिया से बाहर निकलने के लिए सात दिन तक सुमिरन भजन और संयम की साधना कर राहत महसूस कर रहे हैं। हनुमानगढ से आये भूपेन्द्र ने बताया कि भुक्की की फांक ही उनकी जिंदगी का मकसद बन गया था। अब जब से गुरू की शरण और गुर के चरण मिले है जिंदगी के मायने बदल गये हैं समझ आया कि हम क्यौं पैदा हुए इस जिंदगी का मुकाम क्या है...कैसे बताए। कि नशे की अंधेरी दुनिया में मान सम्मान रिश्ते नाते सभी कुछ खो गया था...अब राम नाम की रौशनी दी है संत ने जिससे जीवन खुशियों से भरा भरा मालूम हो रहा है। 22 साल के संदीप रामामण्डी से नशे से निजात पाने की हसरत लिए गुरू के दर आये थे उन्होने बताया कि लोग मुझे चलता फिरता नशे का बाजार कहते थे उसकी सीधी सी वजह थी मुझे किसी भी तरह के नशे से परहेज नहीं था चाहे वह चूरा पोस्त हो, कैप्सूल,  नशे की गोलियां, इंजेक्शन या फिर शीशी में भरा ड्रग्स हो हर नशीली चीज मेरी कमजोरी बन गई थी पर सात दिन के भीतर ही मै सात साल की लत छोड दूंगा सपने में भी नही सोचा था। अब बाकी की उम्र अपने जैसे लोगों का इस दर पर लाउँगा और नशे से दूर करने की कोशिश करूगा। 

No comments:

Post a Comment