डेरा सच्चा सौदा के दूसरे गुरु परम पिता शाह सतनाम जी महाराज का जन्म 25 जनवरी 1919 को हरियाणा के सरसा जिले के गांव श्री जलालआणा साहिब में हुआ। आप जी के आदरणीय पिता जी का नाम श्री वरियाम सिंह जी तथा माता जी का नाम पूज्य माता आसकौर जी था। आप जी का बचपन का नाम श्री हरबंस सिंह जी था। लेकिन आप जी जब बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज (डेरा सच्चा सौदा के संस्थापक) के पास डेरा सच्चा सौदा में आए तो मस्ताना जी महाराज ने आप जी का नाम बदल कर शाह सतनाम जी रख दिया और आप जी के बारे वचन किए कि च्ये वोही सतनाम है जिसे मुद्दतों से दुनिया जपती है। देखा है कभी किसी ने ? जो इनके दर्शन कर लेगा वो भी नर्को में नहीं जाएगा सतनाम कुल मालिक का नाम है। पूज्य पिता श्री वरियाम सिंह का बहुत ऊंचा घराना, बहुत बड़ा जमींदारा और घर में बेशुमार धन-सम्पत्ति थी, परंतु चिंता थी तो केवल संतान की।
एक बार गाँव में एक फकीर का आगमन हुआ। पूज्य माता-पिता जी ने कई दिनों तक उस फकीर की दिल से सेवा की जिससे उस फकीर ने खुश होकर कहा-भगतो आपकी सच्ची-सेवा से हम बहुत खुश हैं। आप की सेवा भगवान को मंजूर है। वह आपकी संतान प्राप्ति की सच्ची हार्दिक, कामना को अवश्य पूरी करेगा। आपके घर कोई महापुरुष जन्म लेगा। इस तरह उस सच्चे फकीर की दुआ से पूज्य माता-पिता की 18 वर्ष की प्रबल तड़प उस समय पूरी हुई जब पूज्य परम पिता जी ने 25 जनवरी 1919 को उनके यहां अवतार लिया।
पूज्य परम पिता जी बचपन से ही दयालुता के समुद्र थे। आप जी शुरू से ही घरेलू कार्यों की बजाए परमार्थी कार्यों में अधिक रूचि लेते थे और हर सम्भव लोगों का भला करते थे। परम पूजनीय परम पिता जी जब से शहनशाह मस्ताना जी महाराज की पावन-दृष्टि में आए, पहले दिन से ही शहनशाह मस्ताना जी महाराज ने आप जी को उन्हे अपना भावी उत्तराधिकारी मान लिया था और उसी दिन से ही आप जी को अपने रूहानी नजरिए से डेरा सच्चा सौदा के दूसरे पातशाह के रूप में देखना आरंभ कर दिया था। दूनियावी नजर में पूज्य मस्ताना जी महाराज ने परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज को दिनांक 28 फरवरी 1960 को पूरे सिरसा शहर में एक बहुत ही प्रभावशाली शोभा यात्रा के द्वारा जीप में घुमाया। ताकि कुल दुनिया को पता चल जाए कि बेपरवाह मस्ताना जी महाराज ने शाह सतनाम सिंह जी को डेरा सच्चा सौदा में अपना स्वरूप बख्श कर अपना उत्तराधिकारी बना दिया है।
पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज ने 30 वर्ष तक साध-संगत व इस पावन दरबार को अपने रहमो-कर्म के अमृत से बड़े ही प्रेम-प्यार से सींचा।
23 सितंबर 1990 को परमपिता शाह सतनाम जी महाराज ने डेरा सच्चा सौदा की बागडोर हजूर महाराज संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां को सौंपी और लगभग डेढ़ वर्ष तक साथ रहे। परमपिता जी ने अपने रूहानी कार्यक्रमों में 28 फरवरी 1960 से लेकर 23 सितंबर 1990 तक 12 लाख से अधिक लोगों को बुराईयों से दूर कर ध्यान मार्ग की युक्ति सिखाकर उनका उद्धार किया। आज उनकी पावन शिक्षाओं के अनुसार पूजनीय हजूर पिता संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की प्रेरणा से 2.5 करोड़ से अधिक लोग नशे इत्यादि बुराईयां छोड़कर सदकर्में के मार्ग पर चल रहे हैं। इसके साथ वर्तमान में पूज्य गुरू जी ने कन्या भ्रूणहत्या, वेश्यावृति उन्मूलन तथा किन्नरों के उत्थान के लिए भी अभियान चलाया हुआ हैं, इस अभियान के तहत पूज्य गुरू जी के आह्वान पर करीब डेढ हजार युवा आगे आए हैं, जो वेश्यावृति के दलदल को त्यागकर समाज की मुख्यधारा में शामिल होने वाली महिलाओं को अपना जीवन साथी बनाने के लिए तैयार हैं इसके अलावा सैंकड़ों परिवार उन लड़कियों को अपनी बेटी-बहन के रूप में अपनाने को तैयार हुए है। इसके साथ ही पूज्य गुरू जी ने सदियों से उपेक्षित किन्नर समुदाय की सुध लेते हुए किन्नर बालकों की शिक्षा की व्यवस्था की हैं।
परम पिता शाह सतनाम जी महाराज का पावन जन्म भण्डारा 25 जनवरी शाम को डेरा सच्चा सौदा में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता हे। देश-विदेश से लाखों की तादाद में श्रद्धालु इस आयोजन में शिरकत करते है। इस दौरान पूजनीय गुरू संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां मानवता भलाई के कार्यों, शिक्षा व खेलों में अव्वल रहने वाले सज्जनों को सम्मानित भी करते है।
एक बार गाँव में एक फकीर का आगमन हुआ। पूज्य माता-पिता जी ने कई दिनों तक उस फकीर की दिल से सेवा की जिससे उस फकीर ने खुश होकर कहा-भगतो आपकी सच्ची-सेवा से हम बहुत खुश हैं। आप की सेवा भगवान को मंजूर है। वह आपकी संतान प्राप्ति की सच्ची हार्दिक, कामना को अवश्य पूरी करेगा। आपके घर कोई महापुरुष जन्म लेगा। इस तरह उस सच्चे फकीर की दुआ से पूज्य माता-पिता की 18 वर्ष की प्रबल तड़प उस समय पूरी हुई जब पूज्य परम पिता जी ने 25 जनवरी 1919 को उनके यहां अवतार लिया।
पूज्य परम पिता जी बचपन से ही दयालुता के समुद्र थे। आप जी शुरू से ही घरेलू कार्यों की बजाए परमार्थी कार्यों में अधिक रूचि लेते थे और हर सम्भव लोगों का भला करते थे। परम पूजनीय परम पिता जी जब से शहनशाह मस्ताना जी महाराज की पावन-दृष्टि में आए, पहले दिन से ही शहनशाह मस्ताना जी महाराज ने आप जी को उन्हे अपना भावी उत्तराधिकारी मान लिया था और उसी दिन से ही आप जी को अपने रूहानी नजरिए से डेरा सच्चा सौदा के दूसरे पातशाह के रूप में देखना आरंभ कर दिया था। दूनियावी नजर में पूज्य मस्ताना जी महाराज ने परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज को दिनांक 28 फरवरी 1960 को पूरे सिरसा शहर में एक बहुत ही प्रभावशाली शोभा यात्रा के द्वारा जीप में घुमाया। ताकि कुल दुनिया को पता चल जाए कि बेपरवाह मस्ताना जी महाराज ने शाह सतनाम सिंह जी को डेरा सच्चा सौदा में अपना स्वरूप बख्श कर अपना उत्तराधिकारी बना दिया है।
पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज ने 30 वर्ष तक साध-संगत व इस पावन दरबार को अपने रहमो-कर्म के अमृत से बड़े ही प्रेम-प्यार से सींचा।
23 सितंबर 1990 को परमपिता शाह सतनाम जी महाराज ने डेरा सच्चा सौदा की बागडोर हजूर महाराज संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां को सौंपी और लगभग डेढ़ वर्ष तक साथ रहे। परमपिता जी ने अपने रूहानी कार्यक्रमों में 28 फरवरी 1960 से लेकर 23 सितंबर 1990 तक 12 लाख से अधिक लोगों को बुराईयों से दूर कर ध्यान मार्ग की युक्ति सिखाकर उनका उद्धार किया। आज उनकी पावन शिक्षाओं के अनुसार पूजनीय हजूर पिता संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की प्रेरणा से 2.5 करोड़ से अधिक लोग नशे इत्यादि बुराईयां छोड़कर सदकर्में के मार्ग पर चल रहे हैं। इसके साथ वर्तमान में पूज्य गुरू जी ने कन्या भ्रूणहत्या, वेश्यावृति उन्मूलन तथा किन्नरों के उत्थान के लिए भी अभियान चलाया हुआ हैं, इस अभियान के तहत पूज्य गुरू जी के आह्वान पर करीब डेढ हजार युवा आगे आए हैं, जो वेश्यावृति के दलदल को त्यागकर समाज की मुख्यधारा में शामिल होने वाली महिलाओं को अपना जीवन साथी बनाने के लिए तैयार हैं इसके अलावा सैंकड़ों परिवार उन लड़कियों को अपनी बेटी-बहन के रूप में अपनाने को तैयार हुए है। इसके साथ ही पूज्य गुरू जी ने सदियों से उपेक्षित किन्नर समुदाय की सुध लेते हुए किन्नर बालकों की शिक्षा की व्यवस्था की हैं।
परम पिता शाह सतनाम जी महाराज का पावन जन्म भण्डारा 25 जनवरी शाम को डेरा सच्चा सौदा में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता हे। देश-विदेश से लाखों की तादाद में श्रद्धालु इस आयोजन में शिरकत करते है। इस दौरान पूजनीय गुरू संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां मानवता भलाई के कार्यों, शिक्षा व खेलों में अव्वल रहने वाले सज्जनों को सम्मानित भी करते है।