Friday, March 4, 2011

दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का शुभारम्भ

हिसार
गुरू जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, हिसार के पर्यावरण विज्ञान एवं अभियांत्रिक विभाग में आज दो दिवसीय मल्टी डिसीपलीनरी अपोर्च इन फ्रंटियर एरियाज आफ इनवायरनमैंटल साइंस एण्ड इंजीनियरिंग विषय पर राष्ट्रीय सेमिनार का शुभारम्भ एडवाजर मिनीस्ट्री आफ अर्थ साईंसिस, भारत सरकार डा एल एस राठौर ने किया व कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति डा एम एल रंगा ने की। अतिरिक्त निर्देशक व प्रिंसिपल, गुरूकुल विद्यापीठ, चढीगढ, डा एस सी जैन मुख्यवक्ता थे। इस अवसर पर कुलसचिव प्रो आर एस जागलान, प्रो नरसी राम बिश्नोई व विभिन्न विभागों के अधिष्ठता, विभागाध्यक्ष, विभाग के शिक्षक, अधिकारी, कर्मचारी एवं विद्यार्थी उपस्थित थे। इस अवसर पर डा किशना राम बिश्नोई व प्रो नरसी राम बिश्नोई द्वारा संयुक्त रूप से लिखी पुस्तक आध्यात्मिक पर्यावरण की मीमांसा का विमोचन भी किया गया।
डा एल एस राठौर ने इस अवसर पर कहा कि शहरों में प्रदूषण का स्तर बहुत उंचा हो गया है जोकि चिंता का विषय बना हुआ है। उन्होने कहा कि वायुमण्डल में ओजोन, नाईट्रोजन आक्साईड, कार्बन मोनोक्साईड और आरपीएम की मात्रा बहुत अधिक हो गई है। डा राठौर ने कहा कि अब तो गांव में भी प्रदूषण का स्तर बढ रहा है और सल्फरडाईक्साईड, नाईट्रोजन ओक्साईड व ओजोन गैसे प्रदूषण का मुख्य कारण है। उन्होने कहा कि जमीन में एसिड की मात्रा प्रदूषण के कारण बढती जा रही है और ऐसा प्रदूषण कारखानों के पास ज्यादा पाया जा रहा है जिसके कारण जमीन बंजर हो रही है। डा राठौर ने सुझाव दिया कि  समय की मांग है कि हमें वैकल्पिक उर्जा के स्त्रोतों की तरफ सोचना होगा ताकि उर्जा की मांग बिना प्रदूषण पैदा किए की जा सके और विश्व के पर्यावरण को सुरक्षित बनाया जा सके।
 अतिरिक्त निर्देशक व प्रिंसिपल, गुरूकुल विद्यापीठ, चढीगढ, डा एस सी जैन ने कहा कि कारखानों से कार्बनडाईक्साईड, मिथेन, नाइट्रसआक्साईड, हाइड्रोफ्लोरोकार्बन जैसी गैसे विश्वभर में पर्यावरण सरंक्षण के लिए खतरा बन गई है और अगर समय रहते इन गैसो में कमी नही लाई गई तो मानव जीवन खतरे में आ सकता है। प्रो जैन ने कहा कि आजकल कई संस्थान कार्बन क्रेडिट उद्योगो को बेचती है ताकि कारखानों द्वारा कार्बन फुटप्रिंट में स्वैच्छित तौर से कमी लाई जा सके। उन्होने बताया कि एक कार्बन क्रेडिट एक टन कार्बन के बराबर होता है।
विश्वविद्यालय के कुलपति डा एम एल रंगा ने कहा कि समय आ गया है कि पर्यावरण से जुड़ी समस्याओं को गंभीरता से लिया जाए ताकि समय रहते इन समस्याओं से पार पाया जा सके।
डा रंगा ने कहा कि अब हमें पर्यावरण से जुड़ी समस्याओं के निदान के लिए संयुक्त रूप से शोध करना चाहिए ताकि पर्यावरण को किसी भी पहलू से नुकसान न पहुंचे और एक साफ-सुथरे पर्यावरण का निर्माण हो सके। डा रंगा ने चिंता जताई कि रसायनों के अधिक इस्तेमाल होने की वजय से अब फूलों पर तितलियां ना के बराबर देखी जाती है। पहले फूलों पर अनेकों तितलियां देखी जाती थी। उन्होने कहा कि गांव में अब जोहड़ गंदे पानी एकत्रित करने का स्थान बन गए है जिसके कारण गांव में बहुत ज्यादा बिमारियां फैल रही है। डा रंगा ने बताया कि गंगा के किनारे बसे 132 शहरों का गंद गंगा नदी में गिरता है जिससे गंगा का जल दूषित हो रहा है और मतस्य जीवन को खतरा बन गया है। उन्होने कहा कि जलस्तर विश्वभर में कम होता जा रहा है अगर तीसरा विश्व युद्घ हुआ तो यकीनन वह जल पर अधिकार के लिए होगा। यह समस्या इतनी गंभीर हो गई है।   
पर्यावरण विज्ञान एवं अभियांत्रिक विभाग के डीन प्रो नरसी राम बिश्नोई ने कहा कि विश्व में तेजाब वाली बरसात प्रदूषण, धरती का बढता तापमान, ओजोन परत का कमजोर होना, धुंआ, दूषित जल, जनसंख्या वृद्घि, वर्षा वनों की कटाई व हैजरड वेस्ट पर्यावरण प्रदूषण के मुख्य स्त्रोत है।  
प्रो बिश्नोई ने बताया कि 5 मार्च को समापन अवसर पर सैंट्रल पोलयूशन कंट्रोल बोर्ड, नई दिल्ली के पूर्व मैंबर सैकेट्री प्रो बी सैन गुप्ता मुख्य वक्ता होंगे। उन्होने बताया कि एन पी एल नई दिल्ली के प्रो प्रभात गुप्ता व प्रो एच एन दत्ता, यूनिवर्सिटी आफ हार्टफारशायर, यूनाइटिड किंगडम के रविन्द्र खेरवाल, आई आई टी रूडकी के प्रो जी एस रंधावा, आई आई टी, दिल्ली के प्रो अनुश्री मलिक, पंजाब विश्वविद्यालय, चढीगढ के प्रो ए एस आलूवालिया व प्रो नरेश कोचर, इंडियन इस्टटीच्यूट आफ रिमोट सैंसिंग, देहरादून के प्रो सत्य पी एस खुशवा, एम एम इंजीनियरिंग कालेज, मुलाना के प्रो बलदेव सेतिया, इंडियन इंस्टटीच्यूट आफ मैंटीइयरोलाजी, भारत सरकार के निर्देशक डा एस डी अत्री, हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार के डीन पी जी स्टडिज प्रो ओ पी टोकी, कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरूक्षेत्र के प्रो जी वालिनायागम, हरियाणा स्पेस एप्लीकेशन सैंटर के प्रो आर एस हुड्डा महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक के प्रो राजेश धनखड़, टैरी नई दिल्ली के प्रो प्रतीक शर्मा, जीबी पंथ विश्वविद्यालय के प्रो एच जे एस प्रसाद, इटालियन मिनिस्ट्री आफ एजूकेशन रोम इटली के डा रोबटो, चौ देवी लाल विश्वविद्यालय, सिरसा के प्रो सुरेश गहलावत, वीड साईंस रिसर्च जबलपुर के निर्देशक प्रो किशोर कुमार कृषनानी व बरकतुल्ला विश्वविद्यालय, भोपाल के प्रो रांगनी गोथालवल विभिन्न तकनीकी सत्रों में व्याख्यान प्रस्तुत किए।
फोटो कैप्शन :
फोटो-1
गुरू जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, हिसार के पर्यावरण विज्ञान एवं अभियांत्रिक विभाग में दो दिवसीय मल्टीडिसीपलीनरी अपोर्च इन फ्रंटियर एरियाज आफ इनवायरनमैंटल साइंस एण्ड इंजीनियरिंग विषय पर
राष्ट्रीय सेमिनार का शुभारम्भ करते एडवाजर मिनीस्ट्री आफ अर्थ साईंसिस, भारत सरकार डा एल एस राठौर। साथ में विश्वविद्यालय के कुलपति डा एम एल रंगा, कुलसचिव प्रो आर एस जागलान व अन्य।

फोटो-2
गुरू जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, हिसार के पर्यावरण विज्ञान एवं अभियांत्रिक विभाग में दो दिवसीय मल्टीडिसीपलीनरी अपोर्च इन फ्रंटियर एरियाज आफ इनवायरनमैंटल साइंस एण्ड इंजीनियरिंग विषय पर
राष्ट्रीय सेमिनार के अवसर पर डा किशना राम बिश्नोई व प्रो नरसी राम बिश्नोई द्वारा संयुक्त रूप से लिखी पुस्तक आध्यात्मिक पर्यावरण की मीमांसा का विमोचन करते हुऐ डा एल एस राठौर, विश्वविद्यालय के कुलपति डा एम एल रंगा व डा एस सी जैन।

फोटो-3
गुरू जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, हिसार के पर्यावरण विज्ञान एवं अभियांत्रिक विभाग में दो दिवसीय मल्टीडिसीपलीनरी अपोर्च इन फ्रंटियर एरियाज आफ इनवायरनमैंटल साइंस एण्ड इंजीनियरिंग विषय पर
राष्ट्रीय सेमिनार के शुभारम्भ अवसर पर उपस्थित विभिन्न विभागों के अधिष्ठïता, विभागाध्यक्ष, विभाग के शिक्षक, अधिकारी, कर्मचारी एवं विद्यार्थीगण।

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