ओढ़ां
पुरानी मंडी ओढ़ां में जलघर के निकट स्थित श्रीपीरखाना में गुरुवार की रात्रि बाबा लखदाता पीर सखी सुल्तान और बाबा हदर शेख मीरां साहिब जी मलेर कोटले वालों के शुभ वार्षिक दीवान का आयोजन बड़ी श्रद्धा व उत्साह के साथ किया गया। इस अवसर पर श्रद्धालुओं द्वारा जगह जगह स्वागत द्वार बनाए गए और श्रीपीरखाना के भवन को रंग बिरंगी झंडियों व बिजली की आधुनिक लडिय़ों से सजाया गया।
दीवान के शुभारंभ पर शाम को छह बजे गद्दीनशीन बाबा सोहन लाल गर्ग की देखरेख में बाबा पुरुषोत्तम दास डबवाली द्वारा विधिवत पूजा अर्चना की गई जिसमें दूर दूर से पधारे विभिन्न पीरखानों के गद्दीनशीन बाबाजी के अलावा पप्पू बाबा धुनीके, बाबा काला खान कालांवाली, बाबा सुखा खान मेहता, बाबा बाज खान, गुरदीप मांगेआना और सरदूल आदनिया सहित अन्य अनेक बाबा शामिल हुए। तदुपरांत बाबाजी का अटूट लंगर बरताया गया जिसमें समस्त गांववासी और हजारों की संख्या में दिल्ली, पंचकुला, मोगा, लुधियाना, कोटकपुरा, जगरावां, बठिंडा, डबवाली, संगत, रामां मंडी, भीखी, रतिया, मानसा, हनुमानगढ़, तपा मंडी, भुच्चों कलां, कालांवाली, सिरसा, फतेहाबाद, हिसार, संगरिया व मलोट से आई संगतों ने भाग लिया।
बाबाजी के दीवान में लभु गर्ग एण्ड पार्टी ओढ़ां, जगा एण्ड पार्टी और बावा एण्ड पार्टी गिदड़बाहा सहित अनेक स्थानों से आई पार्टियों ने जो सच्चे दिलों पीरां नूं ध्यावे जी कटे जांदे दुख ने जी कटे जांदे दुख ने... बड़े सोहने लगदे ने पीरा दे मेले खेड़दे चेले... आजा पीरा लाडलेया पौन हुलारे लैंदी... जीहदे उते पीर मेरे मेहर करदे लैके दर जांदे ने पंजेरो गडियां... पीरा दा सेवक बोले तुसीं लंगर छक के जाएओ जी... बच्चेयां ने दर तेरे नचना होके अज मस्त मलंग जी... अधी रात गुजर गई बाबा अधी रात पिछां बोल मेरेया पीरा वे तूं आवेंगा के ना... पिछों लैलांगे फकीरी तेरे भेष दी पहलां तेरा नूर वेखना... आदि भजन गाकर पूरी रात्रि बाबाजी का गुणगान किया और भारी संख्या में उपस्थित संगतें पूरी रात पंडाल में डटी रही। इस दौरान श्रीपीरखाना का पंडाल श्रद्धालुओं से पूरी तरह भरा रहा।
श्रीपीरखाना के गद्दीनशीन बाबा सोहन लाल गर्ग ने बताया कि श्रीपीरखाना के संस्थापक स्व. बाबा सरूप चंद जी की प्रतिमा श्रीपीरखाना के मध्य स्थापित की गई है और बाबाजी की प्रतिमा की स्थापना के बाद यह पहला वार्षिक दीवान आयोजित किया गया है जिसमें भारी संख्या में दूर दूर से श्रद्घालु भाग लेने आए हैं।
बाबाजी के अनेक श्रद्धालुओं से बात किए जाने पर उन्होंने बताया कि श्रीपीरखाना ओढ़ां के प्रति श्रद्धालुओं में अटूट विश्वास है क्योंकि यहां आकर हजारों श्रद्धालुओं के मन की मुराद पुरी हुई है। जिसने जो चाहा उसे वही मिला यही कारण है कि श्रीपीरखाना के प्रति श्रद्धालुओं की श्रद्धा दिनोदिन बढ़ती जा रही है।
एक अन्य श्रद्धालु ने बताया कि इस दर पर आने वाले सच्चे दिल से जो मन्नत मानते हैं बाबाजी की कृपा से वो पूरी होती है। इस दर से अनगिनत माताओं को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई है तथा अनेक लोग असाघ्य रोगों से मुक्त हुए हैं। सच्चे दिल से बाबाजी की शरण में आने वाला कोई भी भक्त आज तक खाली नहीं गया और बाबाजी ने हर किसी पर अपनी रहमत का नूर बरसाया है।
बाबाजी के दीवान में सेवाकार्य में जुटे सेवादारों ने बताया कि श्रीपीरखाना में हर गुरुवार को मेले सा माहौल होता है और ओढ़ां सहित आसपास के अनेक गांवों तथा दूरदराज के शहरों व कस्बों से सैकड़ों लोग बाबाजी के प्रेम की डोरी में बंधे चले आते हैं। बाबा जी की कृपादृष्टि से उनके भक्त हर समय हर प्रकार के दुख तकलीफों से दूर रहते हैं तथा बाबाजी का गुणगान करते हैं। बाबाजी के दर पर आने वाले लोगों में किसी एक जाति, धर्म, वर्ग या समुदाय के ही नहीं बल्कि हिंदू, मुस्लिम व सिख सहित सभी वर्गों, जातियों व समुदायों के लोग शामिल हैं जो हमेशा मिल जुलकर रहते हैं।
पुरानी मंडी ओढ़ां में जलघर के निकट स्थित श्रीपीरखाना में गुरुवार की रात्रि बाबा लखदाता पीर सखी सुल्तान और बाबा हदर शेख मीरां साहिब जी मलेर कोटले वालों के शुभ वार्षिक दीवान का आयोजन बड़ी श्रद्धा व उत्साह के साथ किया गया। इस अवसर पर श्रद्धालुओं द्वारा जगह जगह स्वागत द्वार बनाए गए और श्रीपीरखाना के भवन को रंग बिरंगी झंडियों व बिजली की आधुनिक लडिय़ों से सजाया गया।
दीवान के शुभारंभ पर शाम को छह बजे गद्दीनशीन बाबा सोहन लाल गर्ग की देखरेख में बाबा पुरुषोत्तम दास डबवाली द्वारा विधिवत पूजा अर्चना की गई जिसमें दूर दूर से पधारे विभिन्न पीरखानों के गद्दीनशीन बाबाजी के अलावा पप्पू बाबा धुनीके, बाबा काला खान कालांवाली, बाबा सुखा खान मेहता, बाबा बाज खान, गुरदीप मांगेआना और सरदूल आदनिया सहित अन्य अनेक बाबा शामिल हुए। तदुपरांत बाबाजी का अटूट लंगर बरताया गया जिसमें समस्त गांववासी और हजारों की संख्या में दिल्ली, पंचकुला, मोगा, लुधियाना, कोटकपुरा, जगरावां, बठिंडा, डबवाली, संगत, रामां मंडी, भीखी, रतिया, मानसा, हनुमानगढ़, तपा मंडी, भुच्चों कलां, कालांवाली, सिरसा, फतेहाबाद, हिसार, संगरिया व मलोट से आई संगतों ने भाग लिया।
बाबाजी के दीवान में लभु गर्ग एण्ड पार्टी ओढ़ां, जगा एण्ड पार्टी और बावा एण्ड पार्टी गिदड़बाहा सहित अनेक स्थानों से आई पार्टियों ने जो सच्चे दिलों पीरां नूं ध्यावे जी कटे जांदे दुख ने जी कटे जांदे दुख ने... बड़े सोहने लगदे ने पीरा दे मेले खेड़दे चेले... आजा पीरा लाडलेया पौन हुलारे लैंदी... जीहदे उते पीर मेरे मेहर करदे लैके दर जांदे ने पंजेरो गडियां... पीरा दा सेवक बोले तुसीं लंगर छक के जाएओ जी... बच्चेयां ने दर तेरे नचना होके अज मस्त मलंग जी... अधी रात गुजर गई बाबा अधी रात पिछां बोल मेरेया पीरा वे तूं आवेंगा के ना... पिछों लैलांगे फकीरी तेरे भेष दी पहलां तेरा नूर वेखना... आदि भजन गाकर पूरी रात्रि बाबाजी का गुणगान किया और भारी संख्या में उपस्थित संगतें पूरी रात पंडाल में डटी रही। इस दौरान श्रीपीरखाना का पंडाल श्रद्धालुओं से पूरी तरह भरा रहा।
श्रीपीरखाना के गद्दीनशीन बाबा सोहन लाल गर्ग ने बताया कि श्रीपीरखाना के संस्थापक स्व. बाबा सरूप चंद जी की प्रतिमा श्रीपीरखाना के मध्य स्थापित की गई है और बाबाजी की प्रतिमा की स्थापना के बाद यह पहला वार्षिक दीवान आयोजित किया गया है जिसमें भारी संख्या में दूर दूर से श्रद्घालु भाग लेने आए हैं।
बाबाजी के अनेक श्रद्धालुओं से बात किए जाने पर उन्होंने बताया कि श्रीपीरखाना ओढ़ां के प्रति श्रद्धालुओं में अटूट विश्वास है क्योंकि यहां आकर हजारों श्रद्धालुओं के मन की मुराद पुरी हुई है। जिसने जो चाहा उसे वही मिला यही कारण है कि श्रीपीरखाना के प्रति श्रद्धालुओं की श्रद्धा दिनोदिन बढ़ती जा रही है।
एक अन्य श्रद्धालु ने बताया कि इस दर पर आने वाले सच्चे दिल से जो मन्नत मानते हैं बाबाजी की कृपा से वो पूरी होती है। इस दर से अनगिनत माताओं को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई है तथा अनेक लोग असाघ्य रोगों से मुक्त हुए हैं। सच्चे दिल से बाबाजी की शरण में आने वाला कोई भी भक्त आज तक खाली नहीं गया और बाबाजी ने हर किसी पर अपनी रहमत का नूर बरसाया है।
बाबाजी के दीवान में सेवाकार्य में जुटे सेवादारों ने बताया कि श्रीपीरखाना में हर गुरुवार को मेले सा माहौल होता है और ओढ़ां सहित आसपास के अनेक गांवों तथा दूरदराज के शहरों व कस्बों से सैकड़ों लोग बाबाजी के प्रेम की डोरी में बंधे चले आते हैं। बाबा जी की कृपादृष्टि से उनके भक्त हर समय हर प्रकार के दुख तकलीफों से दूर रहते हैं तथा बाबाजी का गुणगान करते हैं। बाबाजी के दर पर आने वाले लोगों में किसी एक जाति, धर्म, वर्ग या समुदाय के ही नहीं बल्कि हिंदू, मुस्लिम व सिख सहित सभी वर्गों, जातियों व समुदायों के लोग शामिल हैं जो हमेशा मिल जुलकर रहते हैं।
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