सिरसा, 17 मार्च। उपायुक्त श्री युद्धबीर सिंह ख्यालिया ने कहा कि जिला में सभी आयु वर्ग के लोगों के लिए रक्तअल्पता निवारण कार्यक्रम शुरु किया जाएगा। इसके लिए सभी वर्गों के लोगों की रक्त की जांच कर रक्तअल्पता का पता लगाकर उन्हें आवश्यक स्वास्थ्य सुविधाएं व सलाह दी जाएगी।
श्री ख्यालिया आज स्थानीय सीएमके पीजी कॉलेज के ओडिटोरियम में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत सामुदायिक प्रक्रिया का अवलोकन एवं आशा का अनुस्थापन प्रशिक्षण कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे। इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के राज्य संयोजक डा. चांद सिंह मदान, जिला के सिविल सर्जन डा. एसपी गुप्ता व प्रशासनिक विभाग के अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
उपायुक्त ने कहा कि राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के जिला में स्वास्थ्य के क्षेत्र में सकारात्मक परिणाम सामने आए है। इस समय जिला में प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग द्वारा 0 से 18 आयु वर्ग के बच्चों में रक्तअल्पता की समस्या को दूर करने के लिए कार्यक्रम शुरु किया गया है। यह कार्यक्रम चौथे चरण में पहुंच चुका है। प्रथम चरण में नर्सरी तक के बच्चों के, दूसरे चरण में मिडल क्लास तक के बच्चों में, तीसरे चरण में स्कूल से बाहर रहे बच्चों में रक्तअल्पता की कमी का पता लगाया गया। अब डॉक्टरों की टीम द्वारा सीनियर सैकेंडरी कक्षा स्तर तक बच्चों में रक्तअल्पता की कमी का पता लगाने का कार्य चल रहा है।
उन्होंने बताया कि जिला में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन शुरु होने के पश्चात विभिन्न क्षेत्रों में ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज की गई है। जिला में बच्चों की मृत्यु दर में कमी आई है। बच्चों की मृत्यु दर जो पहले 1000 के पीछे 85 थी अब घटकर 78 रह गई है। इसी प्रकार से मातृ मृत्यु दर में भी गुणात्मक कमी आई है। जिले में अब बच्चों का लिंगानुपात 874 है जिसका अंतर पहले अधिक था। इसके साथ-साथ कुपोषित बच्चों की संख्या में भी कमी आई है।
उपायुक्त ने आगे कहा कि सिरसा जिला में विभिन्न योजनाओं व कार्यक्रमों के तहत स्वास्थ्य एवं शिक्षा से संबंधित गतिविधियों को प्राथमिकता दी जाएगी। इन सेवाओं के लिए जिला में धन की कोई कमी नहीं रहने दी जाएगी। उन्होंने वर्करों का आह्वान किया कि वे सुनिश्चित करे कि जिला में शत् प्रतिशत संस्थागत प्रसुति हो और शत् प्रतिशत माताओं व बच्चों में टीकाकरण हो। इसके साथ-साथ आशा वर्करों में समाज में यह भी जागरुकता पैदा करनी होगी कि स्वस्थ बच्चों के पैदा होने में घर के अच्छे माहौल का होना अत्यंत आवश्यक है और वह तभी अच्छा रह सकता है जब पति पत्नी में व अन्य के अन्य सदस्यों में अच्छा समन्वय होगा। इस कार्यक्रम में राज्य संयोजक डा. चांद सिंह ने आशा कार्यकर्ताओं के लिए बेहतर कार्य के टिप्स दिए और बताया कि किस प्रकार आशा कार्यकर्ता ज्यादा से ज्यादा महिलाओं व बच्चों तक पहुंचकर सरकार की योजनाओं का लाभ पहुंचा सकती है। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के मुख्यालय से आए डा. नरेश ने बच्चों व माताओं के आहार बारे जानकारी दी। डा. अलका ने भी आशा कार्यकर्ताओं को बेहतर कार्य करने बारे प्रशिक्षित किया और कहा कि आगामी मार्च माह के अंत तक कार्यकर्ताओं के सभी प्रकार देय का भुगतान करवा दिया जाएगा। इस कार्यक्रम में जिला स्तर पर बेहतर कार्य करने वाली आशा कार्यकर्ताओं को सम्मानित भी किया। प्रथम स्थान पर गोरीवाला गांव की राधा, द्वितीय स्थान पर हरचंद का बास गांव की वीरपाल कौर तथा गंगा गांव की वीरपाल कौर तृतीय स्थान पर रही। डा. पीएल वर्मा और डा. वीरेश ने भी आशा कार्यकर्ताओं को राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन की गतिविधियों के बारे में बताया।
श्री ख्यालिया आज स्थानीय सीएमके पीजी कॉलेज के ओडिटोरियम में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत सामुदायिक प्रक्रिया का अवलोकन एवं आशा का अनुस्थापन प्रशिक्षण कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे। इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के राज्य संयोजक डा. चांद सिंह मदान, जिला के सिविल सर्जन डा. एसपी गुप्ता व प्रशासनिक विभाग के अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
उपायुक्त ने कहा कि राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के जिला में स्वास्थ्य के क्षेत्र में सकारात्मक परिणाम सामने आए है। इस समय जिला में प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग द्वारा 0 से 18 आयु वर्ग के बच्चों में रक्तअल्पता की समस्या को दूर करने के लिए कार्यक्रम शुरु किया गया है। यह कार्यक्रम चौथे चरण में पहुंच चुका है। प्रथम चरण में नर्सरी तक के बच्चों के, दूसरे चरण में मिडल क्लास तक के बच्चों में, तीसरे चरण में स्कूल से बाहर रहे बच्चों में रक्तअल्पता की कमी का पता लगाया गया। अब डॉक्टरों की टीम द्वारा सीनियर सैकेंडरी कक्षा स्तर तक बच्चों में रक्तअल्पता की कमी का पता लगाने का कार्य चल रहा है।
उन्होंने बताया कि जिला में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन शुरु होने के पश्चात विभिन्न क्षेत्रों में ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज की गई है। जिला में बच्चों की मृत्यु दर में कमी आई है। बच्चों की मृत्यु दर जो पहले 1000 के पीछे 85 थी अब घटकर 78 रह गई है। इसी प्रकार से मातृ मृत्यु दर में भी गुणात्मक कमी आई है। जिले में अब बच्चों का लिंगानुपात 874 है जिसका अंतर पहले अधिक था। इसके साथ-साथ कुपोषित बच्चों की संख्या में भी कमी आई है।
उपायुक्त ने आगे कहा कि सिरसा जिला में विभिन्न योजनाओं व कार्यक्रमों के तहत स्वास्थ्य एवं शिक्षा से संबंधित गतिविधियों को प्राथमिकता दी जाएगी। इन सेवाओं के लिए जिला में धन की कोई कमी नहीं रहने दी जाएगी। उन्होंने वर्करों का आह्वान किया कि वे सुनिश्चित करे कि जिला में शत् प्रतिशत संस्थागत प्रसुति हो और शत् प्रतिशत माताओं व बच्चों में टीकाकरण हो। इसके साथ-साथ आशा वर्करों में समाज में यह भी जागरुकता पैदा करनी होगी कि स्वस्थ बच्चों के पैदा होने में घर के अच्छे माहौल का होना अत्यंत आवश्यक है और वह तभी अच्छा रह सकता है जब पति पत्नी में व अन्य के अन्य सदस्यों में अच्छा समन्वय होगा। इस कार्यक्रम में राज्य संयोजक डा. चांद सिंह ने आशा कार्यकर्ताओं के लिए बेहतर कार्य के टिप्स दिए और बताया कि किस प्रकार आशा कार्यकर्ता ज्यादा से ज्यादा महिलाओं व बच्चों तक पहुंचकर सरकार की योजनाओं का लाभ पहुंचा सकती है। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के मुख्यालय से आए डा. नरेश ने बच्चों व माताओं के आहार बारे जानकारी दी। डा. अलका ने भी आशा कार्यकर्ताओं को बेहतर कार्य करने बारे प्रशिक्षित किया और कहा कि आगामी मार्च माह के अंत तक कार्यकर्ताओं के सभी प्रकार देय का भुगतान करवा दिया जाएगा। इस कार्यक्रम में जिला स्तर पर बेहतर कार्य करने वाली आशा कार्यकर्ताओं को सम्मानित भी किया। प्रथम स्थान पर गोरीवाला गांव की राधा, द्वितीय स्थान पर हरचंद का बास गांव की वीरपाल कौर तथा गंगा गांव की वीरपाल कौर तृतीय स्थान पर रही। डा. पीएल वर्मा और डा. वीरेश ने भी आशा कार्यकर्ताओं को राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन की गतिविधियों के बारे में बताया।
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