फतेहाबाद: पूर्व सांसद डा.सुशील इंदौरा ने भ्रष्टाचार के विरूद्ध मुहिम चलाने वाले प्रमुख समाजसेवी अन्ना हजारे को पत्र लिखकर इस आंदोलन की कामयाबी पर प्रश्नचिन्ह लगाया है। डा.इन्दौरा ने अपने पत्र में कहा है कि जन लोकपाल विधेयक ड्राफ्टिंग समिति में भाई-भतीजावाद की बू आती है। १२१ करोड़ की आबादी वाले देश में एक भी महिला को इस काबिल नहीं समझा गया कि वह बिल ड्राफ्ट समिति का हिस्सा बन सके। इसके अलावा इस समिति में अनुसूचित जाति एवं जनजाति व पिछड़े वर्ग के किसी व्यक्ति को समिति में शामिल ना करना आंदोलन की कामयाबी पर प्रश्र चिन्ह लगाता है। डा.इंदौरा का कहना है कि उक्त लोग ही समाज की सरंचना के मुख्य हिस्सेदार हैंं व सबसे ज्यादा भुगत भोगी हैं। उनका कहना है कि वे अन्ना हजारे के आंदोलन की आलोचना नहीं कर रहे हैं, बल्कि उनकी मंशा तो यह है कि इस समिति में सभी वर्गों के लोगों को पर्याप्त जगह मिले। डा.इंदौरा ने अन्ना हजारे को लिखे अपने पत्र में यह स्वीकार किया है कि भ्रष्टाचार आज लोकतंत्र के सभी अंगों में व्याप्त है और आए दिन भ्रष्टाचार गहराता ही जा रहा है। उन्होंने कहा है कि भ्रष्टाचार के लिए किसी वर्ग विशेष को जिम्मेदार ठहराना उचित नहीं होगा। यह सही है कि बहुतायत लोग लालच में गलत रास्ते पर चलते हें और भ्रष्टाचार रुपी दानव उन्हें घेर लेता है, लेकिन हर कोई भ्रष्टाचार में संलिप्त नहीं होता। यही वजह है कि राष्ट्रव्यापी आंदोलन के पहले ही कदम पर आलोचनाओं का दौर शुरू हो गया व विवाद फैल गया। डा.इंदौरा ने ड्राफ्ट समिति गठित करने के लिए प्रधानमंत्री को बधाई देते हुए कहा है कि उन्होंने देश की जनता को भ्रष्टाचार रूपी दानव के विरूद्ध एक होकर लडऩे का सुनहरी मौका दिया है। उन्होंने अन्ना हजारे से अपेक्षा की है कि वे पिछली घटनाओं से सीख लेते हुए भविष्य को उज्जवल बनाएंगे।
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