Sunday, March 27, 2011

युवा वर्ग में भगत सिंह की विचारधारा के प्रचार प्रसार की आवश्यकता है

 ओढां
    खंड के गांव मिठडी में शहीद भगत सिंह व उनके साथियों के शहीदी दिवस 23 मार्च की याद में ग्राम पंचायत व समस्त गांववासियों के सहयोग से इंकलाबी गीत संगीत व नाटक मेले का आयोजन किया गया।
    शहीद भगत सिंह विचार मंच हरियाणा की जिला ईकाई सिरसा की ओर से इंकलाबी विचारधारा को समर्पित इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित इंकलाबी केंद्र पंजाब के अध्यक्ष नारायण दत्त एवं भगत सिंह विचार मंच के प्रदेश सचिव नरभिंद्र सिंह ने अपने संबोधन में समाज में व्याप्त गिरावट का उदाहरण देते हुए एक नए समाज के निर्माण एवं नई विचारधारा की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि हमारे युवा वर्ग को नई दिशा देने वाले कॉलेज के प्रौफेसरों से यदि शहीद भगत सिंह की माता का नाम पूछा जाए अथवा हमारे देश की स्वतंत्रता के आधार हमारे देशभक्तों के संबंध में गहन प्रश्न पूछे जाएं तो संभवत: वे उनका उत्तर नहीं दे पाएंगे। अत: आज हमारे युवा वर्ग में भगत सिंह की विचारधारा के प्रचार प्रसार की आवश्यकता है ताकि उनमें भी हमारे देशभक्तों के समान जज्बे का विकास हो सके
    इस कार्यक्रम में लोकगीत संगीत मंडली धौला के जगराज सिंह धौला द्वारा अपने साथियों के साथ इंकलाबी गीत प्रस्तुत किए एवं चेतना कला मंच बरनाला की ओर से प्रसिद्ध नाटक निर्देशक प्रौ. हरविंद्र दीवाना के निर्देशन में तीन नाटक समें दा सच्च, मिट्टी रूदन करे एवं जंगीराम दी हवेली का कलाकारों हरविंद्र दीवाना, प्रीत तमन्ना, रूपिंद्र गिल, हरप्रीत सिंह, जसपाल सिंह और संदीप द्वारा सफलतापूर्वक मंचन किया गया।
    नाटक समें दा सच्च में दिखाया गया कि शहीद भगत सिंह के शहीदी दिवस के अवसर पर राजनीतिज्ञ व राजनीतिक दल किस प्रकार अपने स्वार्थों के वशीभूत होकर शहीद भगत सिंह के परिवार के हितैषी बनने का दिखावा करते हैं तथा उनमें से कोई भी न तो शहीद भगत सिंह की विचारधारा की बात करता है और न ही उसे समझने का प्रयास करता है। बस उन्हें चिंता है तो अपने वोट बैंक की और उसी के लिए वे अपने अपने दांव चल रहे हैं। दूसरे नाटक मिट्टी रूदन करे में दर्शाया गया कि समाज के लोगों को धनपतियों एवं सत्ता के दलालों द्वारा किस प्रकार नशे की दलदल में धकेलते हुए अपने स्वार्थों की पूर्ति की जा रही है और समाज के लोग उनके इशारों पर नाचने को किस प्रकार मजबूर कर दिए जाते हैं और कैसे नशे की दलदल में धंसकर उनके पूरे परिवार बर्बाद हो जाते हैं। वर्तमान राज प्रबंध पर गहरी चोट करते तीसरे नाटक जंगीराम दी हवेली में दिखाया गया कि शहीद भगत सिंह ने कैसे राज प्रबंध का सपना देखा था और वर्तमान दृश्य उसके अनुरूप नहीं हैं तथा अपने प्यारे भारत का जो भविष्य भगत सिंह ने देखा था आज का भारत उसके बिल्कुल विपरीत जा रहा है और ये वो भारत नहीं है जैसा भगत सिंह चाहते थे। इसलिए आज हमारे देश को आवश्यकता है ठीक उस प्रकार के भारत निर्माण की जैसा शहीद भगत सिंह चाहते थे और जिसके लिए उन्होंने अपने प्राणों तक की आहुति दे दी।
    इस अवसर पर  इस अवसर पर सन 1857 के गदर से लेकर सन 1947 तक के महान शहीदों की तस्वीरों की प्रदर्शनी एवं इंकलाबी तर्कशील पुस्तकों की स्टालें भी लगाई गई जिन्हें दर्शकों ने खूब सराहा। इस कार्यक्रम के दौरान मंच का संचालन भगत सिंह विचार मंच सिरसा के जिला सचिव बलजीत बिट्टू ने किया। इस अवसर पर तर्कशील सोसाइटी के जिला सचिव अजायब सिंह जलालआना व हरदेव सिंह अगरोईया, बचित्र सिंह मिठडी, हरगोपाल सिंह खुईयां मलकाना और मंदीप सिंह डबवाली सहित अनेक गणमान्य लोग व बड़ी संख्या में गांववासी उपस्थित थे।


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