Monday, April 4, 2011

कानूनी जागरुकता शिविर एवं ग्रामीण लोक अदालत का आयोजन 9 व 10 अप्रैल को

सिरसा,04 अप्रैल। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वावधान में आगामी 9 व 10 अप्रैल को जिले के गांव सूचान कोटली में कानूनी जागरुकता शिविर एवं ग्रामीण लोक अदालत का आयोजन किया जाएगा।
    यह जानकारी देते हुए मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव नरेश कुमार सिंघल ने बताया कि इस कानूनी जागरुकता शिविर में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के बारे में जनता को विस्तार से जानकारी दी जाएगी और लोक अदालत में दोनों पक्षों की सहमति से विभिन्न अदालतों में लंबित पड़े मामलों का मौके पर निपटारा किया जाएगा। उन्होंने बताया कि विभिन्न एजेंसियों के माध्यम से रजिस्ट्रेशन, जॉब कार्ड, बेरोजगारी भत्ता, जनता को रोजगार देने बारे आवश्यक कार्यों बारे, मस्टर रोल, कार्यस्थल पर दी जाने वाली सुविधाएं, वेतन, बैंक व डाकघर के बचत खाता आदि के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाएगी।
    मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ने बताया कि इसके उपरांत गांव सूचान कोटली में ही 10 अप्रैल को ग्रामीण लोक अदालत का आयोजन किया जाएगा जिसमें क्षेत्र के लोगों के विभिन्न प्रकार के मुकद्दमे जो विभिन्न अदालतों में लंबित पड़े है, को मौके पर ही निपटाया जाएगा।
    उन्होंने बताया कि इस ग्रामीण लोक अदालत में फौजदारी, सिविल, लड़ाई-झगड़े, मोटर वाहन दुर्घटना व हिंदू मैरिज एक्ट से संबंधित मुकदमों के अलावा अन्य प्रकार के मुकदमों का भी दोनों पक्षों की सहमति से निपटारा किया जाएगा। इसके साथ-साथ क्षेत्र के लोगों को मुफ्त कानूनी सेवा के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी जाएगी। उन्होंने आमजन से अपील की कि वे इस ग्रामीण लोक अदालत का लाभ उठाए और अपने लंबित मामलों को अदालत में निपटवाएं। इस तरह के मामलों को लोक अदालतों में निपटवाने से कई प्रकार का लाभ मिलता है। लोक अदालतों के माध्यम से मामले निपटवाने से धन और समय की बचत होती है। लोक अदालत में निपटाए गए मामलों को आगे कही भी किसी भी अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती यानी सदा-सदा के लिए मामलों का निपटारा हो जाता है। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि आयोजित ग्रामीण लोक अदालत व कानूनी जागरुकता शिविरों में बढ़-चढ़कर भाग ले।
वायुसेना केंद्र के आसपास का क्षेत्र प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित
सिरसा, 04 अप्रैल। उपायुक्त श्री युद्धबीर सिंह ख्यालिया ने कहा कि स्थानीय वायुसेना केंद्र की सुरक्षा को मद्देनजर रखते हुए वायुसेना केंद्र के आसपास के क्षेत्र को प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित किया गया है। इस क्षेत्र में कोई भी व्यक्ति बिना पूर्व अनुमति के किसी प्रकार का निर्माण कार्य नहीं कर सकता।
    उन्होंने बताया कि भारत सरकार की अधिसूचना एस.आर.ओ नंबर 12/2007 दिनांक 3 मार्च 2007 के नियमों के मानदंडों के अनुसार ही किसी प्रकार का नवनिर्माण का कार्य किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि भारत सरकार द्वारा जारी अधिसूचना में गांव अहमदपुर, स्थानीय मीरपुर कालोनी, शमशाहबाद पट्टी, केलनियां, चत्तरगढ़ पट्टी, विष्णुपुरी कालोनी और झोपड़ा गांव को प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित किया गया है। उन्होंने बताया कि भारत सरकार द्वारा जारी अधिसूचना की पालना में प्रशासनिक अधिकारियों को सतर्क किया जाएगा ताकि वे उक्त स्थानों की जांच करके आदेशों की अनुपालना करवाएंगे। उन्होंने बताया कि यदि कोई व्यक्ति इन नियमों की अवहेलना करता है तो उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जाएगी और अनाधिकृत बने भवनों के निर्माण को गिरवाया जाएगा।
थ्रेशर मशीन के संचालन में पूरी एहतियात बरते
सिरसा
,04 अप्रैल। कृषि विज्ञान केंद्र के संयोजक एवं कृषि विशेषज्ञ श्री बी.एस श्योकंद ने किसानों और कृषि कामगारों से आग्रह करते हुए कहा कि कृषि यंत्रों विशेषकर थ्रेशर मशीन के संचालन में पूरी एहतियात बरते ताकि होने वाली दुर्घटनाओं के दुष्प्रभावों से बचा जा सके।
    उन्होंने कहा कि थे्रशर मशीन के उपयोग बारे सही जानकारी के अभाव में गेहूं फसल की कटाई तथा दाना निकालने की प्रक्रिया में हर वर्ष अक्सर दुर्घटनाएं होती है। उन्होंने कहा कि थोड़ी सी लापरवाही व अनभिज्ञता जानलेवा भी हो सकती है। इसलिए सावधानी बरतनी अति आवश्यक है। उन्होंने कहा कि दाना निकालने की प्रक्रिया शुरु करने से पूर्व थ्रेशर मशीन को समतल भूमि पर स्थापित किया जाना चाहिए ताकि मशीन के चलते समय कम से कम कंपन हो।  मशीन को चलाने से पूर्व हाथ द्वारा चलाकर एक चक्कर अवश्य लगाकर देख लेना चाहिए कि इसमें किसी प्रकार की कोई रुकावट या कोई आवाज तो नहीं है। उन्होंने कहा कि यदि थे्रशर मशीन के पहियों को जमीन में गाड़कर खुंटियां लगा दी जाए तो और भी अच्छा रहेगा। फिर भी यदि मशीन में कंपन हो तो थे्रेशर मशीन फ्रेम पर वजन रखा जा सकता है।
    उन्होंने कहा कि भूसे की निकासी हवा चलने की दिशा की ओर होनी चाहिए। थ्रेशर को निर्धारित आरपीएम (सही चक्करों पर ही) चलाया जाना चाहिए। थे्रशर सिलेंडर मशीन पर दर्शाए गए निशान के अनुसार ही चलाए। उन्होंने कामगारों व किसानों को सलाह दी कि वे थ्रेशर मशीन पर कार्य करते समय किसी प्रकार का नशा न करे व अपने कार्य को पूरी चुस्ती के साथ करे।  उन्होंने सलाह दी कि छोटी-छोटी सावधानियों को ध्यान में रखकर कार्य करेंगे तो कभी दुर्घटना नहीं होगी। उन्होंने किसानों से आग्रह भी किया कि वे गेहूं के अवशेषों को कभी न जलाए।

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