Friday, March 18, 2011

भागवत का उच्चारण गौदान के समान - शास्त्री मनीराम

. ओढ़ां
    गांव बनवाला में स्थित श्रीगीता भवन में जारी श्रीमद्भागवत कथा में शुक्रवार को शास्त्री मनीराम ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए प्रह्लाद भगत की कथा का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि पूर्व काल में हिरण्यकश्यप व हिरण्याक्ष के अत्याचारों से धरती पर त्राही त्राही मच चुकी थी तब भगवान ने उनको मारने का उपाय सोचकर उसी के घर में प्रह्लाद भगत को जन्म दिया और हिरण्यकश्यप का संहार करने हेतु स्वयं नरसिंह का रूप धारण किया। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत अत्यंत गोपनीय पुराण है जो भगवतरूप का अनुभव कराने वाला और समस्त वेदों का सार है। संसार में फंसे हुए जो लोग इस अज्ञान रूपी अंधकार के पार जाना चाहते हैं उनके लिए अध्यात्मिक तत्वों को प्रकाशित करने वाला यह एक अद्वितीय दीपक है और वास्तव में उन्ही पर करूणा करके बड़े बड़े ऋषि मुनियों ने इसका वर्णन किया है। जो मनुष्य प्रतिदिन भागवत पुराण का पाठ करता है या सुनता है उसको एक एक अक्षर के उच्चारण के साथ कपिला गौ दान देने का पुण्य प्राप्त होता है। जो लोग कलियुग में श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण करते हैं तथा भागवत शास्त्र की पूजा करते हैं वे कलिकाल से निडर होकर सदा उस प्रभु में लीन रहते हैं। मनुष्य जितने दिनों तक अपने घर में भागवत शास्त्र रखता है उतने समय तक उसके पितृ दूध, घी, मधु और मीठा जल पीते हैं।

छायाचित्र: 18ओडीएन 2.जेपीजी—ओढ़ां। गांव बनवाला में कथा का वाचन करते शास्त्री मनीराम।

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