Friday, April 15, 2011

गुरुद्वारा श्री निर्मलसर साहिब में वैसाखी पर्व धूमधाम से मनाया गया

सिरसा,
सचखंड वासी बाबा मोहन सिंह मतवाला के तप स्थान गांव तिलोकेवाला के गुरुद्वारा श्री निर्मलसर साहिब में वैसाखी पर्व धूमधाम से मनाया गया। इस मौके पर रखे गए श्री गुरुग्रंथ साहिब के 51 श्री सहज पाठ व 5 अखंड पाठ का भोग डाला गया। श्रद्धालुओं ने वैसाखी पर्व के उपलक्ष्य में पवित्र सरोवर में डूबकी लगाई व लगाए गए मेले में श्रद्धालुओं ने जमकर खरीददारी की। समारोह में रागी अजायब सिंह ने अमृत वेले से आसा की वार से पाठ आरंभ करके सारी सिख संगत को निहाल किया व पंजाब धूड़कोट से आए संत बाबा अवतार सिंह ने गुरुओं की वाणी का गुणगान किया और गुरु गोबिंद सिंह के जीवन पर प्रकाश डाला। इस आयोजित कार्यक्रम में गुरुद्वारे के संत बाबा गुरमीत सिंह जी ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि श्री गोबिंद सिंह ने खालसा पंथ की नींव रखकर सिख धर्म को उच्च शिखर तक पहुंचाया। उस समय गुरु जी ने परीक्षा लेकर पंज प्यारों का चयन किया था और इसी प्रकार वर्तमान में हम उस पंज प्यारों से प्रेरणा लेते हुए सिख धर्म के मान मर्यादा और उसकी विरासत को संभालकर रखना होगा। वैसाखी के इस पवित्र दिन पर हमें प्रण लेना चाहिए कि समाज में फैली बुराईयों जैसे भू्रण हत्या, दहेज प्रथा, भ्रष्टाचार को देश से खत्म करना चाहिए और सच्चे सिख होने का मान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि गुरु गोबिंद सिंह ने मुगलों के खिलाफ हमें शस्त्र उठाने की प्रेरणा दी। वर्तमान में समाज में फैली बुराईयां एक मुगलों का रूप है, जिसके अत्याचार से समाज खोखला हो रहा है और इन अत्याचारों को खत्म करने के लिए सिख धर्म को विशेष रूप से आगे आना होगा। बाबा ने आई हुई संगतों को वैसाखी और सक्रांति की बधाई दी। गुरुद्वारे के प्रवक्ता मनोज सिंह ने बताया कि इस मौके पर बठिंडा से होम्योपैथिक मैडिसन ए.एस. जर्मन फार्मेसी द्वारा होम्योस्कैश का शुभारंभ किया गया और उनके द्वारा इस होम्योस्कैश की छबील लगाई गई। इस कंपनी के संचालक डा. सुखप्रीत सरां ने बताया कि यह होम्योस्कैश होम्योपैथिक पद्धति से बनाई गई है, जिसमें गर्मी के मौसम में हमें लू व गर्मी से बचत मिलेगी। गुरुद्वारे के बाहर महिलाओं व बच्चों के लिए मेला आयोजित किया गया था, जिसमें बच्चों व महिलाओं ने जमकर खरीदारी की। गुरुद्वारे में बच्चों, महिलाओं, बूढ़ों व सिख संगतों ने माथा टेका और गुरु का अटूट लंगर ग्रहण किया।

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