Friday, December 10, 2010
इश्क
शिखर दोपहर सी उम्रां दी,
मैं रोग इश्क दा ला बैठा,
मैंनू इश्क ने पागल कर दिता,
मैं अपना आप भुला बैठा,
मैं बनके पीड़ मुहब्बत दी,
जिंद ओहदे नां लिखवा बैठा,
मेरी हसरत चन्न नूं पौन दी सी,
पर अंबरीं उड़दा उड़दा मैं,
अज खुद धरती ते आ बैठा।
80532-86585
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