Friday, December 10, 2010
सोहना
सोहना हुंदा ना कोई रंग रूप पखों,
कम ना आवे तां शरीर बेकार लोको,
सोहना चलना, तकना ते हसना नी,
तार दिंदा है नेकियां दा वपार लोको,
सोहना हुंदा है जग ते ओह बंदा,
जिहदे सोहने ते उच्चे विचार लोको।
जीनूप्रीत सिद्धू, ओढ़ां
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment