Friday, December 10, 2010

दिल में बसाओ

   
    किसी को पलकों पर मत बसाओ,
    क्योंकि पलकों पर तो सपने बसते हैं,
    किसी को बसाना हो तो दिल में बसाओ,
    क्योंकि दिल में तो अपने बसते हैं।
        आशियाना
    तमन्ना थी खूबसूरत आशियाना बनाने की,
    मगर चल पड़ी आंधियां जमाने की,
    मेरे दर्द-ए-गम को कोई समझ ना पाया,
    क्योंकि मेरी आदत थी मुस्कुराने की।
        चंद्रभान सिलण, कक्षा नौवीं, ख्योवाली

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