सिरसा, 21 अप्रैल। इनलो के वरिष्ठ नेता एवं वार्ड नं. 29 से नगर पार्षद प्रदीप मेहता ने सरकार से पार्षदों व सरपंचों का मान देय बढ़ाए जाने की मांग की है। श्री मेहता ने कहा कि सरकार ने जिस प्रकार विधायकों व मंत्रियों का मान देय बढ़ाया है उसी तर्ज पर पार्षदों व सरपंचो ंका मान देय भी बढ़ाए। उन्होंने कहा कि सरकार वर्तमान में सरपंचो व पार्षदों को जो मानदेय दे रही है वह किसी भी प्रकार से ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर वे इस मिलने वाले मानदेय से लोगों को चाय पानी भी पिलाते है तो उनका खर्च इससे कहीं अधिक है। जबकि उनका काम अब अत्याधिक बढ़ गया है।
उन्होंने बताया कि मौजूदा सरकार में पार्षदों और सरपंचों को 1500 रुपए ही मानदेय राशि के रूप में दिए जाते है जबकि अन्य राज्यों में पार्षदों एवं सरपंचों को 5000 रुपए से अधिक की मानदेय राशि दी जाती है और 750 रुपऐ मोबाईल का खर्चा दिया जाता है। इनेलो नेता ने हुड्डा सरकार की कड़ी आलोचना करते हुए कहा है कि मुख्यमंत्री भाषणबाजी के सिवा कुछ नहीं करते। इस निक्कमी सरकार को वादें करने के सिवा और कोई काम नहीं है अगर कोई काम करना आता तो करनाल में की गई घोषणा को मुख्यमंत्री तुरंत पूरा करवाते।
इनेलो नेता ने कहा कि चण्डीगढ़ जैसी सिटी में तो पार्षदों और सरपंचों को लैपटॉप तक दिए गए है जबकि हरियाणा में कंप्यूटर तक नही दिए गए है।
प्रदीप मेहता ने गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर पचास रुपए बोनस की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि किसान विरोधी सरकार ने एक बार फिर किसानों के साथ मजाक किया है। किसानों से वादे तो बहुत बड़े-बड़े किए जाते है लेकिन जब वक्त आता है उन वादों को पूरा करने का तो शोषण के शिवा कुछ नहीं मिलता।
उन्होंने बताया कि मौजूदा सरकार में पार्षदों और सरपंचों को 1500 रुपए ही मानदेय राशि के रूप में दिए जाते है जबकि अन्य राज्यों में पार्षदों एवं सरपंचों को 5000 रुपए से अधिक की मानदेय राशि दी जाती है और 750 रुपऐ मोबाईल का खर्चा दिया जाता है। इनेलो नेता ने हुड्डा सरकार की कड़ी आलोचना करते हुए कहा है कि मुख्यमंत्री भाषणबाजी के सिवा कुछ नहीं करते। इस निक्कमी सरकार को वादें करने के सिवा और कोई काम नहीं है अगर कोई काम करना आता तो करनाल में की गई घोषणा को मुख्यमंत्री तुरंत पूरा करवाते।
इनेलो नेता ने कहा कि चण्डीगढ़ जैसी सिटी में तो पार्षदों और सरपंचों को लैपटॉप तक दिए गए है जबकि हरियाणा में कंप्यूटर तक नही दिए गए है।
प्रदीप मेहता ने गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर पचास रुपए बोनस की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि किसान विरोधी सरकार ने एक बार फिर किसानों के साथ मजाक किया है। किसानों से वादे तो बहुत बड़े-बड़े किए जाते है लेकिन जब वक्त आता है उन वादों को पूरा करने का तो शोषण के शिवा कुछ नहीं मिलता।
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